
जशपुर जिले के बगिया स्थित मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय आज सिर्फ एक प्रशासनिक केंद्र नहीं, बल्कि एक जनसेवा और स्वास्थ्य सेवा का आदर्श उदाहरण बन चुका है। यहां हर दिन सैकड़ों लोग अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर पहुँचते हैं और उन्हें न सिर्फ विशेषज्ञों की सलाह मिलती है, बल्कि गंभीर रोगियों को अंबिकापुर, रायपुर जैसे उच्चस्तरीय अस्पतालों में रेफर कराकर उनका बेहतर इलाज भी सुनिश्चित किया जाता है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देशन में संचालित यह पहल एक अनोखी मिसाल है, जहां शासन और सेवा भाव का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। क्षेत्रीय निवासियों को पहले प्राथमिक उपचार के लिए दूरदराज के शहरों तक भागना पड़ता था, लेकिन अब बगिया कैंप कार्यालय में ही एक प्रशिक्षित चिकित्सकीय टीम, नर्सिंग स्टाफ और समर्पित प्रशासनिक दल मरीजों की गंभीरता के अनुसार उचित मार्गदर्शन और चिकित्सा सहायता उपलब्ध करा रहे हैं।
यह पहल विशेष रूप से ग्रामीण, आदिवासी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए वरदान साबित हो रही है। गंभीर रोगियों के लिए एम्बुलेंस सेवा, मरीज और उनके परिजनों के ठहरने की व्यवस्था, दवाइयों की उपलब्धता और चिकित्सकीय परीक्षण जैसी सभी सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं। अधिक से अधिक मरीजों को रेफर किया जा चुका है और इनमें से अधिकांश का इलाज सफलतापूर्वक रायपुर एम्स, अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज और बिलासपुर के प्रमुख अस्पतालों में कराया गया है।
बगिया कार्यालय में मरीजों की काउंसलिंग, उनके परिवार के लिए मानसिक सहयोग, और आर्थिक सहायताओं की व्यवस्था ने इस केंद्र को “जनकल्याण सेवा केंद्र” की संज्ञा दिला दी है।

यह पहला मौका नहीं है जब श्री विष्णु देव साय ने स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दी हो। जब वे सांसद थे, तब भी उनका आवास लोगों के लिए “मिनी एम्स” बन चुका था। दूर-दूर से आने वाले मरीजों को न सिर्फ उपचार मिलता था, बल्कि उनके ठहरने, भोजन और पुनर्वास की भी व्यवस्था होती थी। आज मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उनका वही सेवा भाव कायम है।
बगिया कैंप कार्यालय नेतृत्व और मानवीय दृष्टिकोण का प्रमाण है। इस मॉडल को अगर पूरे छत्तीसगढ़ में अपनाया जाए तो राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य क्रांति आ सकती है।
इस अनूठे प्रयास के लिए छत्तीसगढ़ शासन और माननीय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी को समस्त क्षेत्रवासी हृदय से धन्यवाद एवं साधुवाद अर्पित करते हैं। यह एक उदाहरण है कि जब इच्छाशक्ति और जनसेवा का भाव हो, तो सीमित संसाधनों में भी असाधारण कार्य संभव है।


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